Thursday, July 10, 2008
पसीने में प्रार्थना
ब्लू लाइन की बसों में रोज कुछ न कुछ दिलचस्प देखने को मिल ही जाता है, मगर आज का अनुभव बिल्कुल अनोखा था. आज दोपहर कोटला की रेड लाइट से कनाट प्लेस के लिए मैंने 450 नम्बर की बस पकड़ी. बस खचाखच भरी थी, सो सीट मिलने का तो सवाल ही नहीं था, सो बस की पाइप पकड़ कर सीट के इंतजार में खड़ा हो गया. दिल्ली में दो चार दिन से ऐसी उमस है कि दोपहर को ब्लू लाइन बस से यात्रा करते हुए पसीने से नहा जाना आम बात है. पसीने से उभचुभ मै सीट तलाश रहा था कि अपने पीछे मैंने बुदबुदाती हुई सी प्रार्थना की आवाज़ सुनी...जो dhrupad के aalap की तरह anwrat तेज होती जा रही थी...बाबा जी... सुखविंदर कौर की बीमारी ठीक कर दे...बाबाजी काके दे नौकरी लगा दे...बाबाजी सुखविंदर कौर को जिन्दा रख...बाबाजी मुझे जिन्दा रख...! चौंक कर पीछे मुड़ा तो देखा कि पसीने से लदफद 60 साल के एक लहीम sahaim सरदार जी आँखें बंद किए प्रार्थना में डूबे थे...देवनागरी और गुरुमुखी की यह मिश्रित प्रार्थना वयक्तिक को सामाजिक में बदल रही थी...15-16 साल pahle जब मै नया-नया साहित्य का पाठक बना था मैंने 'हंस' के किसी अंक में प्रियंवद ka उपन्यास पढ़ा था...उपन्यास का एक पात्र चिन्मय अपने आदरणीय गुरु दादू से कहता है - ' ईश्वर से व्यक्ति का सम्बन्ध वैसा ही होना चाहिए, जैसा पति का अपनी पत्नी से होता है.' ईश्वर के प्रति अपनी आस्था के सार्वजनिक प्रदर्शन से हमेशा मुझे चिढ सी रही है...शायद बुद्धि और विवेक से नाता रखने वाले और भी कई लोगों को रही हो, खास कर जब से दक्षिणपंथी ताक़तों ने धर्म और ईश्वर को प्रोडक्ट में तब्दील कर दिया है...मगर चीकट आस्तीन और पनियाई आँखों वाले उस वृद्ध की प्रार्थना ne मेरे दिलो दिमाग को भिंगो दिया...हिन्दी पाठकों को स्वम प्रकाश की मशहूर कहानी 'क्या तुमने किसी सरदार को भीख मांगते देखा है' की याद होगी...आज का दृश्य उस कहानी से कम मार्मिक नहीं था...जबकि कहानी की तरह यह कोई दंगा फसाद का समय नहीं...मगर कमरतोड़ महंगाई और अमरीका से परमाणु करार को बेकरार सरकार ने आम आदमी को कितना असुरक्षित, दीन और निरुपाय बना दिया है! ...ईश्वर से सार्वजनिक तौर पर मांगी गई इस भीख का पता सरकार और पॉलिसी मेकर्स को क्या कभी चल पायगा...?
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5 comments:
I loved this post and this blog. Happy Day.
bhai theek likha hai kabhi uday prakash ne kaha tha maine apna eeshvar khoj liya hai , to baat vaha bhi vahi thi.bahut mamsprashi lega.bahut pahle aapki kahani padi thi ab blog.shuruaat achhi hai.pradeep ne aapke bare me batya tha usi ne add.. diya hai.
बहुत बढिया. मित्र ज़रा रफ़्तार बढाएं. अपनी कहानियां कब पढ़वा रहे हैं.
अभिषेक जी आपका ब्लॉग और लेखन शैली बहुत भाई !
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