Tuesday, June 10, 2008

दोस्तों
'गल्पायन' में आपका स्वागत है । एक कथाकार होने के नाते मैं अक्सर सोचता हूँ कि जीवन में किस्से-कहानियाँ नहीं होते, बल्कि किस्से-कहानियों में जीवन होता है । जैसा कि मेरे बेहद प्रिय कथाकार मार्कवेज कहते है - 'जीवन वह नहीं होता जो हम जीते है , जीवन वह होता है जो हमे याद रहता है ।' हम रोज सोते -जागते है ,ब्रश करते , खाना खाते है ,चाहे -अनचाहे लोगों से मिलते -जुलते है । मगर यह रूटीन हमारे लिए बहुत मायने नहीं रखता । ...प्रेम की स्मृतियां , दिल टूटने का खौफ , किसीसे धोखा खाने की टीस , किसी अपने से मिलना , किसी बहुत प्रिय का खो जाना ... दरअसल रोज के रूटीन से हटकर किस्से -कहानियों से बना यही हमारा जीवन है, जो हमे याद रह जाता है ।
'गल्पायन' में हम किस्से -कहानियों से बनी इसी जिन्दगी की बात करेंगे। उस जिंदगी की बात करेंगे जो कल्पना और हकीकत के मेल से बनी है । आग्रह है कि 'गल्पायन' के लिए आप अपने किस्सों से बने इसी जीवन की बात करें । अपनी जिंदगी से जुड़े यादगार लम्हों को हमारे साथ शेयर करें । साथ ही अपने प्रिय लेखकों की कहानियाँ ,जो आपको याद रह गई हों, उसे अपनी भाषा मे अर्थों की नई ताजगी के साथ गल्पायन के पाठकों के लिए प्रस्तुत करें ।
हमें आपके सुझाओं -प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा ।
अभिषेक कश्यप
१० मई २००८

7 comments:

वेद प्रकाश said...

ब्लाग की दुनिया में आपका स्वागत है.

रवि रतलामी said...

हिन्दी चिट्ठासंसार में आपका स्वागत है.

Mihir Pandya said...

अभिषेक. आपका इंतज़ार था यहाँ. अब एक दिन आप यहाँ भी मेरा 'दिन बनायेंगे' ऐसी मेरी उम्मीद है! बातचीत जारी रहेगी. अब आपके लिखे का इंतज़ार रहेगा...

विनीत कुमार said...

बहुत बढिया किया आपने यहां आकर। अभी आ गए तो ठीक ही रहा नहीं तो प्लॉट की कीमतें यहां भी आसमान छूने को है।

Rakesh Kumar Singh said...

ब्लॉगबाज़ी में दाखिले पर मुबारकबाद. मज़ेदार किस्से-कहानियों की चाह रहेगी आपसे.

हिमांशु शेखर said...

blogri ki is duniya me bhi ummid hai aap achha karenge. Naye andaaz me kahani ko pesh karne ka khyal pasand aaya.

आशीष कुमार 'अंशु' said...

शुभ-स्वागतम बड़े भाई